Sunday 21 October 2012

दोस्ती...

बेरंग थी मेरी दुनिया
थी बस ख़ामोशी ही ख़ामोशी ,
फिर मिले तुम कमीने
और छा गयी ये मधोशी।

तुम्ह्ने दिखाया एक नया नज़रीया
ज़िन्दगी के हर पेहलू को देखने का ,
तुम्ह्ने सीखाया एक नया तरीका
ज़िन्दगी हस्ते हुए जीने का।

तुम्ही ने बदल दी है मेरी पेहचान
और अब बन बैठे हो इस दिल की जान।
ना दौलत ना शौरत की अब मुझे अर्मान
हमारी दोस्ती है अब मेरी सबसे बड़ी शान।

झिन्दगी भले थम जाए ,
ये दोस्ती ना थम पाएगी।
भले ये तन दुनिया में रहे या ना रहे
ये मन तोह तुम्हारे साथ ही रहना चाहेगी।

दुनिया से जाते जाते
तुम्हारी यादें साथ लेता जाऊंगा ,
खुदा ने पुछा तोह कहूँगा
अपनी जन्नत में अपने साथ लेता हुआ आऊंगा।

Friday 5 October 2012

चले जाते है वो....!!!!

चले जाते है वो हमे छोडके
रह जाती है बस उनकी यादें
उनको याद करते ही हो जाती है आँखें नम
बड़ा ही पेचिदासा है किसीके बिछड्नेका घम
देखते है वोह सब बैठकर वहा सितारों में
गिनती होती थी उनकी हमारे यारों में
भले कितना ही वक्त गुजर जाये , ये ज़ख्म न भरेगा
चेहरे पर रहेगी हसी , पर ये दिल रोता रहेगा .
ये ना कहेंगे हम की उपरवाला कठोर है ,
पर यह कहेंगे की वोह स्वार्थी ज़रूर है !
वरना एक यार वो मुझसे छीनता ही क्यों ?
एक सचे दोस्त को अपने पास वोह बुलाता ही क्यों ?