Monday 31 December 2012

नयी उम्मीद, नया सवेरा...!!!

बैठे है रात की गोद में
करने आज को अल्विदा
लायेगा कल का सूरज
अपने साथ नया सवेरा ।

रहेगी धरती वोही
और वोही रहेगा आसमान
हम तुम भी होंगे वोही
बस होगा नया कारवां ।

नयी उम्मीद की किरण होगी
होगा नया हौसला
और नए जोश के साथ
होगा सही गलत का फैसला ।

ना पिछली गलतियों का अफ़सोस होगा 
ना दुःख भरी यादें होंगी
बस आने वाले समय में
खुशियों की उम्मीद होगी ।

चेहरे पे हसी लिए
सामना करेंगे हर हाल का
अतीत की कैद से आज़ाद
स्वागत होगा नए साल का ।

Monday 17 December 2012

Home is where the heart is...!!!!

अपने नज़रों से देखो
तोह सिर्फ चार दीवार है
मेरे रूह में झांकों
तोह यादों का भण्डार है ।

ये ही वोह फर्श है
जिसपे मैंने चलना सीखा
ये वही छत है
जिसके साए में मैंने पहला सपना देखा ।

यहाँ की हवाओं में
मेरे आसुओं की मेहेक है
यहाँ की दीवारों में
मेरे हसी की चेहेक है ।

इसी की छत्रछाया में
मैंने अपना बचपन बिताया
यहाँ से जाने के ख़याल में
मेरा दिल भर आया ।

यहाँ से जाना मेरी मर्ज़ी नहीं
मेरी मजबूरी का किस्सा है
क्यूंकि ये सिर्फ मेरा घर नहीं
बल्कि मेरे रूह का हिस्सा है !!!

Note: The title is in English because I felt there was no better title for the poem and translating it in Hindi was not apt.


Friday 14 December 2012

मैं तुजको न भुला पाया....

तुजको जो ना पाया
तो मैंने सब कुछ ही गवाया
हर जगह दिखायी दिया
बस तेरा ही साया ।

बोहोत कोशिशों के बावजूद
मैं तुजको न भुला पाया
और तेरी इन यादों से दौड़ते दौड़ते
मैं खुद ही को कही भूल आया ।

तेरे घम के आड़ में
मैंने आते हुए खुशियों का गला दबाया
अतीत के बाहों में गिरकर
मैं हर पल सिर्फ पचताया ।

पहले ज़िन्दगी को अपनाया
और फिर थुक्राया
इतनी कोशिशों के बावजूद भी
मैं तुझको न भुला पाया ......!!!