Sunday 21 October 2012

दोस्ती...

बेरंग थी मेरी दुनिया
थी बस ख़ामोशी ही ख़ामोशी ,
फिर मिले तुम कमीने
और छा गयी ये मधोशी।

तुम्ह्ने दिखाया एक नया नज़रीया
ज़िन्दगी के हर पेहलू को देखने का ,
तुम्ह्ने सीखाया एक नया तरीका
ज़िन्दगी हस्ते हुए जीने का।

तुम्ही ने बदल दी है मेरी पेहचान
और अब बन बैठे हो इस दिल की जान।
ना दौलत ना शौरत की अब मुझे अर्मान
हमारी दोस्ती है अब मेरी सबसे बड़ी शान।

झिन्दगी भले थम जाए ,
ये दोस्ती ना थम पाएगी।
भले ये तन दुनिया में रहे या ना रहे
ये मन तोह तुम्हारे साथ ही रहना चाहेगी।

दुनिया से जाते जाते
तुम्हारी यादें साथ लेता जाऊंगा ,
खुदा ने पुछा तोह कहूँगा
अपनी जन्नत में अपने साथ लेता हुआ आऊंगा।

2 comments:

  1. Speechless.

    Amazed by the innocence and truth in every word and every sentence.

    Glad to have you as a friend :).

    -Setu Shah
    (http://setu.me)

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    1. the pleasure is mine....
      and the innocence and truth in every word is dedicated to u guys....!!!!

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