चले जाते है वो हमे छोडके
रह जाती है बस उनकी यादें
उनको याद करते ही हो जाती है आँखें नम
बड़ा ही पेचिदासा है किसीके बिछड्नेका घम
देखते है वोह सब बैठकर वहा सितारों में
गिनती होती थी उनकी हमारे यारों में
भले कितना ही वक्त गुजर जाये , ये ज़ख्म न भरेगा
चेहरे पर रहेगी हसी , पर ये दिल रोता रहेगा .
ये ना कहेंगे हम की उपरवाला कठोर है ,
पर यह कहेंगे की वोह स्वार्थी ज़रूर है !
वरना एक यार वो मुझसे छीनता ही क्यों ?
एक सचे दोस्त को अपने पास वोह बुलाता ही क्यों ?
रह जाती है बस उनकी यादें
उनको याद करते ही हो जाती है आँखें नम
बड़ा ही पेचिदासा है किसीके बिछड्नेका घम
देखते है वोह सब बैठकर वहा सितारों में
गिनती होती थी उनकी हमारे यारों में
भले कितना ही वक्त गुजर जाये , ये ज़ख्म न भरेगा
चेहरे पर रहेगी हसी , पर ये दिल रोता रहेगा .
ये ना कहेंगे हम की उपरवाला कठोर है ,
पर यह कहेंगे की वोह स्वार्थी ज़रूर है !
वरना एक यार वो मुझसे छीनता ही क्यों ?
एक सचे दोस्त को अपने पास वोह बुलाता ही क्यों ?
Okay. Let me be frank. This is not a poem.
ReplyDeleteIt's more of a shayari. And a very good one at that :).
Kudos! Keep writing!
-Setu Shah
(http://setu.me/)
shayari and poems...many times seem similar...and thank you...
DeleteDude! Never knew, tum bahumukhi partibha ke dhani vaykti ho. This is good and keep jotting down you thoughts like this.
ReplyDelete❤️❤️
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